ऐसा नहीं है कि नादानी से काम अटक जाता है,
रास्ता मालूम हो तो भी इंसान भटक जाता है.
कितनी भी होशियारी से तुम बातों को दफ्न करो,
वक़्त कहीं से ढूंढ कर उन्हें पैरों पर पटक जाता है.
सबको है शौक़ नया सारा सच जानने का,
और अगर सच कह दो तो खटक जाता है.
उससे कह दो सूरज का इंतज़ार न किया करे,
चाँद पागल है रातों को आसमान पर लटक जाता है.
प्रशांत
रास्ता मालूम हो तो भी इंसान भटक जाता है.
कितनी भी होशियारी से तुम बातों को दफ्न करो,
वक़्त कहीं से ढूंढ कर उन्हें पैरों पर पटक जाता है.
सबको है शौक़ नया सारा सच जानने का,
और अगर सच कह दो तो खटक जाता है.
उससे कह दो सूरज का इंतज़ार न किया करे,
चाँद पागल है रातों को आसमान पर लटक जाता है.
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