Wednesday, March 31, 2010

सिसकियाँ

अपनी तो बाकी ऐसे ही गुज़र जायेगी,
ना सही कोई, तन्हाई साथ निभाएगी,
अपने जीने की रकम युहीं अदा करेंगे,
सिसक लेंगे चुपके से बेजान रातों में.

No comments: