अल्फ़ाज़
एक नज़रिया !
Tuesday, March 23, 2010
लम्हे
गुपचुप खिसकते लम्हों ने ,
देखो ये क्या कर दिया है ,
जो था जुदा सा मुझसे ,
उसे मुझसा कर दिया है.
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