अल्फ़ाज़
एक नज़रिया !
Tuesday, October 18, 2011
आश्नाई
ए ज़िन्दगी मुझसे यूँ बेवफाई न कर,
दो कदम साथ चल रहनुमाई न कर.
बहुत लम्बा है सफ़र हसरतों मेरा,
मंजिल को देख रास्तों से आश्नाई न कर.
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