Tuesday, April 4, 2017

कफ़न

चलो माना कि वो उम्र भर हमारा होगा,
पर क्या फ़क़त इतने से गुज़ारा होगा.

आओ ढूंढें कहीं हमारे असीम ख़्वाबों में,
किसी गर्द में छुपा हुआ कोई सितारा होगा.

जो भटक रहा हूँ सेहरा में तो मेरी ही खता है,
गुंजी होगी अना कानों में जो उसने पुकारा होगा.

अब की आओ तो अपने साथ एक कफ़न लेते आना,
जो आसमान टूटा तो उसी का सहारा होगा.

जहां पहुँच कर हम एक रोज़ डूब गए थे,
वही उफनता दरिया किसी का किनारा होगा. 


प्रशांत


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