Friday, October 29, 2010

बिल्लियाँ

जो चले गए !!!!

पिछले कुछ दिनों से हमारे घर में एक बिल्ली और उसके प्यारे से नन्हे से बच्चे ने डेरा डाल रखा है. कुछ महीने पहले भी वह बिल्ली अपने दो छोटे बच्चों के साथ आई थी.  तब माँ ने उनका बहुत ख्याल रखा था. उन्हें दिन में दो से तीन बार खाना देना आदि का माँ काफी ख्याल रखती थीं.  वो दोनों बच्चे थे भी बड़े चंचल और नटखट, दिन भर इधर से उधर फुदकते रहते थे.  धीरे-धीरे हमारी भी ऐसी आदत बन गयी थी कि उन्हें देखे बिना दिन पूरा नहीं होता था.  वो भी बड़े समझदार थे और हम लोगों को देखते ही अपनी कारगुजारियां शुरू कर देते थे.  गमले में पड़ी मिटटी खोद देना, पेड़ों पे चढ़ जाना, आपस में उठा-पटक करके वो हमारा ध्यान आकर्षित करने कि कोशिश किया करते थे.  उनकी माँ भी हमसे निश्चिंत होके धूप सका करती थी.  अभी हमारा रिश्ता खिल ही रहा था कि उसे किसी कि नज़र लग गयी और वो दोनों बच्चे एक-एक करके गायब हो गए.  हमने खोजने की बहुत कोशिश की पर वह नहीं मिले.  फिर एक दिन हमारे यहाँ काम करने वाली ने बाते की उसने उनमे से एक की लाश पीछे के मैदान में देखी है.  दूसरे का कुछ पता नहीं चला.  अभी हमारे मन पे पड़ी उनकी छाप हल्की हो ही रही थी की एक सुबह माँ ने एकदम से हमे उठाया और बोला की बिल्ली एक नए बच्चे को लेकर आई है.  माँ की ख़ुशी देखते ही बनती थी.  ये बच्चा पहले वाले दोनों बच्चों के मिश्रण जैसा है.  इसका फुर पे मानो उन दोनों की परछाईं पड़ी थी.  मासूम से चेहरे और कौतुक भरी नज़रों से उसने आते ही माँ का दिल जीत लिया था.  माँ ने इस बार देर ना करते हुए ज्यादा सुरक्षात्मक होकर उनके लिए एक छोटे से आशियाने का निर्माण कर दिया है.  इसमें वो ठण्ड से और अन्य परेशानियों से बचे रहेंगे.  माँ ने इस बार भी अपनी जिम्मेदारियां संभल ली है.  आशा करते हैं इस बार ईश्वर उस बच्चे को सुरक्षित रखेंगे. 


नयी दस्तक 

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