Saturday, May 29, 2010

पनाह

ठहरे हुए लफ़्ज़ों को सोचता हूँ,
तेरा पता दे दूँ,
कोने में सुलगती यादों को,
थोड़ी हवा दे दूँ,
मिल जायेंगी तेरी सांसें,
मेरी साँसों में,
आ तुझे अपनी बाहों में पनाह दे दूँ.

Monday, May 24, 2010

kathni aur karni ka fark

this is what we say and what we want others to achieve.  now have a look at what we do!!!


Thursday, May 20, 2010

ज़िन्दगी

मुट्ठी में अरमानों कि ठंडी राख,
साँसों कि उलझी सी साख,
मिल जायेगी धडकनों को आवाज़,
थोड़ी सी ज़िन्दगी दे दे.