अल्फ़ाज़
एक नज़रिया !
Friday, April 2, 2010
नशा
मैंने तुझको देखा है जब से ,
कुछ खो गया है मुझसे ,
हर लम्हा तेरी
तलब
सी है ,
बदली नहीं है ज़िन्दगी ,
फिर भी अलग सी है.
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