Wednesday, January 2, 2013

साव देबे न करें कहें पुरे तौलिया!!

अपनी और अपने देश की हालत आजकल कुछ ऐसी ही है।  हमें ऊपर वाले ने दर्शन देने से इनकार कर दिया और देश को सरकार वालों ने।  बड़ी उम्मीद ले के हम पहली तारिख को हाजरी देने गए थे, पर वहां जाके पता चला की आजकल ऊपर वाले को भी सिक्योरिटी की चिंता सत रही है। हमारे कंधे पे काला बैग देखा और सीधा कतार से बाहर।  उनके रखवालों का कहना था की 200 गज के बाहर बैग रख आओ।  हमारे इश्वर को चोट न पहुंचे बाकियों की हमें परवाह नहीं।  हाँ ये डर उसे सिर्फ पुरुष बिरादरी से ही है।  खैर इसमें उसका भी कोई दोष नहीं है, आखिर आज तक सारे युद्ध और हमले हमने ही तो किये हैं। हमने ही तो इंसानियत के चेहरे की छील के बदसूरत कर दिया है। वो तो अब खुद को आईने में देख कर भी डर जाता है।  हाँ हाँ जानता हूँ की कारण हमेशा कुछ और थे पर भैया फेस वैल्यू तो अपनी खराब हो गयी न।  अब करते रहो अभिमान अपने पुरुष होने पे।  चौखटा तो हुई गवा करिया।
अब बात अपने इस महान परम्परावादी, सिद्धांतवादी और निति नियम पालक देश की।  चिंता का विषय ये है की ये सारी ही गुणवत्ता वाली वस्तुएं ही लुप्त होती जा रहीं हैं।  जनता है की अपना गला फाड़ फाड़ के  जिंदा करने की कोशिश में है और सरकार जानती है की अगर वो जिंदा हो गयी तो लुटिया डूब जायेगी। जनता जनार्दन सरकार को महिमामंडित कर रही है, वहीँ सरकार का कहना है की हम तो जनता का ही एक छोटा सा हिस्सा हैं। जो जनता करती है वही  हम करते हैं। आम इंसान (आदमी लिखने में अब शर्मिंदगी होती है) झोली फैलाए बैठा और सरकार मंच पे चढ़ के मुजरा करने के मूड में है।
अब ऐसे में किसे क्या मिलेगा ये तो वो बिल में दुबका इश्वर ही जाने। जब उसकी ही हालत पतली है तो फिर हम तो वैसे भी 200 गज के बाहर हैं।