अल्फ़ाज़
एक नज़रिया !
Sunday, June 13, 2010
लय
दो लम्हों कि मुलाक़ात में मेरी साँसों कि
लय
बदल दी,
जाने क्या हो गया है मुझे बिन छुए वो क्या कर गयी,
पलकों कि रेशम आँखों के करघे पे उसके ही सपने बिनती है,
मेरी बेजा धड़कन को वो अपने अरमान दे गयी...
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